40 दिन 40 रात ।।2।। हाइरे दया

40 दिन 40 रात ।।2।। हाइरे दया
आन्धी लेखे हवा चलत रहे,
तूफा लेखे पानी आवत रहे ।।2।।
आन्धी आवत राहे तूफा आवत रहे ।।2।।

1. ईश्वर कर कहल से, डोंगा बनालक नूह ।
    छोट बड़ प्राणी, मनवा के बचालक नूह ।।2।।

2. आकाश झारोखा के शांत करालैं 
    अरारत पहाड़ में डोंगा के टिकालएँ रे ।।2।।

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