वो आगे आगे बाग लागाता गया

वो आगे आगे बाग लागाता गया
तुम पीछे पीछे फूल खिलाते चलो।
1. अपना सब देकर बदले में, कुछ भी तो लिया न तुम से
कुर्बानी देकर षुली पर, एक दिल ही चाहा उसने
2. ये दुनिया रचना है उसी की, और वो है रचयता है इसका
जररे जररे में इस जग के, संगीत बसा है उसका 
   

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