को. दुनिया कर मनवा मन न सोचा ई माटी
काया के, आत्मा के सिंगरवा आत्मा के
सजवा प्रभु कर राईज लागिन।
1. पाप-दोष खोईल देवव प्रभु ठिना रे,
मन दिल साफ कर प्रभु के डेरा देवव रे।
2. मिल -जुईल के रहब रे सोबे मनवा,
अपन पड़ोसी के अपन लेखे प्यार करब रे
3. निंदा के बदले निंदा नी करब रे ,
मन में नी रखब , बैरी-दोषी के क्षमा करब
रे ।
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सादरी गीत