1. चिवरा कुंटो भवजी ।।2।।
ओहोरे हमें जबो शिकारो बना रे
2. राऊरे धरू भवजी चिवरा मोटरी रे
हमें धरोब तीरा बंदूका रे ।।2।।
3. घर से निकलय अंगेना में खड़ा भेल
नहीं दिसय शिकारो बना रे ।।2।।
4. राऊरे रहूं भैया बेहरा गछा रे
हमें रहब आवरा तरी रे ।।2।।
5. हरीणा का सबादे तीरा मोय छोड़ालों
हो लगी गेलैंय सोने सन भैया के
हो लगी गेलय रूपे सन भैया के
6. डहुरा के काटी काटी भैया मोर के डाबलों
आकाश से सोने गिदली मेंडराय
धरती से चिंमटी जे ससराय ।।2।।
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बेंजा डण्डी