जो क्रूश पे कुरबां है वो मेरा मसीहा है
हर जख्म जो उसका है वो मेरे गुनाह का है।।
1 इस दुनिया में ले आये, मेरे ही गुनाह उसको
ये जुल्म ओ सितम उस पर, मैंने ही कराया है।
2 इन्सान है वो कामिल, और सच्चा खुदा वो है।
वो प्यार का दरिया है, सच्चाई का रास्ता है।
3 देने को मुझे जीवन, खुद मौत सही उसने
क्या खूब है कुर्बानी, क्या प्यार अनोखा है।
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भला शुक्रवार