1. अविनाशी सजावट से सुसज्जित होवा।।2।।
कोरस- मंन अपन के तन अपन के
वचन :पी सोना के सिंगरावा।।2।।
2. बोली से वचन से तोहारे मंन सिंगरावा।।2।।
3. चाल से चलन से तोहरे मंन सिगरावा।।2।।
4. मेल से प्रेम से तोहरे मंन सिगरावा।।2।।
5. विनती से वचन से तोहरे मंन सिंगरावा।।2।।
6. गिरजा जायेक से तोहरे मंन सिगरावा ।।2।।
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सादरी भजन