दया करू नासरी, हमके नजरी करी, कृपा करू क्रुस धारी

 

को०- दया करू नासरी, हमके नजरी करी, कृपा करू क्रुस धारी

    त्राण पावब रौरे बिन नहीं कहीं

    गोड़ केकर कहूँ धरी ।।2।। ओहरे

 

1. क्रुस बिपद धरी डाकू भी मिन्नत करी, मेलें स्वर्ग अधिकारी

    देखु प्रभु हमहाँ जुन एगो आही, गोड़ केकर कहू धरी ।।2।।

 

2 झील में डुबेक घरी, पितर केर हाथ धरी करी रही उपकारी

    दुनिया में हमहों जुन डुबात ही, गोड़ केकर कहू धरी ।।2।।

 

3. शाऊल के मारी करी, आँखी ऊकर अंधा करी स्वर्ग

    ज्योति देई रही

    डगमग जीऊ, मोर थोर नहीं, गोड़ केकर कहू धरी ।।2।।

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