सुन तो संगी साधू सुन तो संगी साधू रे उसराव पीठिया

 

1. सुन तो संगी साधू सुन तो संगी साधू रे उसराव पीठिया

    उढ़ैर जाथे।

    का करब नीतो खाली हाथे, पीछे अंधरिया राती आवोथे

 

2. केतो कइबे साधू, तनी कुन ले बेर ठहइर जारे

    तार खातिर बेइर नहीं ठहरी, तोर खातिर पिठया नहीं बैठी

    अंधरिया राती आबे करी हो

 

3. कातो करब साधु, तनी कूना कोनो किनलेब हो

    जे आहे किनु एक दिया, जेकर से देखब रे डगरिया

    देखी देखी राती पार भेवब हो

 

4. चार दिनक जिनगी, दुनियाँ केर पिठया में हो

    जे आहे किनु धरम दीया, कहथी जीव के बतिया

    मरल बादे ओहे काम आवी हो ।।2।।

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