जीऊ-के राखु फरी घरे आवें हरी

 

1. जीऊ-के राखु फरी घरे आवें हरी ।।2।।

    बिगड़ल सभे काम देखब सुधरी

    तोहर काम-जंगले पर्वत फर धरी ।।2।।

    जंगले पर्वते फर धर तोहर काम -3

    जंगले पर्वते फर धरी तोहर काम

 

2. जीऊ के मांजर रहू चेहरा चमकी ।।2।।

    जने जने जाब रौर चेहरा दमकी

    तोहर नाम, मधुरस मीठा फर धरी ।।2।।

 

3. प्रभु नाम लेई करी, कोई काम करी ।।2।।

    हारी नहीं जिन्दगी में जने नजैर परी

    उकर काम-केतइ घरके उबार करी ।।2।।

 

4. उमड़त प्रेम उकर जीवे तरबरी

    बड़-छोट सभे उकर सभे अपने तरी

    उकर नाम घर-घरे देखब दिया बारी ।।2।।

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