ओह दैया धीरज
धरल मन
विश्वास राखल
करम प्रभु संभड़ाय
1. थीर पानी पखन काटे कहुता कहाय ए भाई
कमियां आदमी के
जानू, जहाँ काम आहे
ओहे स्वर्ग
बुझाय ।।2।।
2. प्रेम के प्रेमे खिंचेल, मन भरी जाय, - ए भाई।
बेकारी बेकार जि, घुन तरी खाय । ।
सेके केहर समझाय
।।2।।
3. हाथ में लिखल रेखा, किस्मत
कहाय, ए भाई
कमियां आदमी के
देखी प्रभु मुसुकाय
बिगड़ल बनी जाय
।।2।।
4. जन्म मरण ऋतु धरती केर है, ए भाई
प्रभु पर जेहर
टेकी जीवन बिताय
सेतो कभी नी
सिराय ।।2।।
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ईश भजन 2007